Tumhari Yaad Ki Shayari

मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है,
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है।

भले ही पेट के खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ,
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है।