Tokhrein Kha Kar

मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं, गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।