Tokhrein Kha Kar
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं, गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।
- Sad Shayari
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मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं, गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।