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Dost Dosti Nibha De Shayari
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे,
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिज़ा नहीं है।
– शकील बदायुनी
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Dosti Shayari
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